हमारा भारत वर्ष हमेशा से ही त्यौहारों के लिए प्रसिद्ध रहा है । एक देश और भाषाएँ अनेक रीति -रिवाज भी अनेक यही तो हमारें भारत वर्ष की पहचान है । पर क्या कभी हमनें सोचा है । की हमारा भारत दिन -प्रतिदिन जितनी ऊंचाइयों को छु रहा है । उतना ही समाजिक बुराइयों के कारण आम आदमी का जीना मुश्किल हो रहा है । जैसा की हम सभी जानते है । वर्षों से हमारें भारत में हर तरह के त्योंहारों को मनाया जाता रहा है । चाहें वो किसी भी धर्म के हो या जाति के हम सभी उनका खुलें दिल से स्वागत करतें है । त्योहारों की अपनी ही विशेषताओं के कारण ही पहचाना जाता है चाहे वह ईद हो या दिवाली ,क्रिसमस हो या गुरुपर्व और जिन तरीको से हम भारतीय इन त्यौहारों को एक साथ मिलजुलकर मनातें है । वो हमारी एकता को दर्शातें है। और आज के इस बदलते दौर में लोगो के लिए जिस तरह लोगो का नजरिया बदल रहा है। वो एक बेहतर समाज की तरफ संकेत कर रहा है । की आज नहीं तो कल एक -न -एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब लोग आडम्बर और अंधविश्वास से बाहर निकलकर एक अच्छे समाज की स्थापना करेंगे ।
जैसा की हमारें समाज में दिवाली में खुशियों के साथ पूरे संसार को रोशन करने की प्राथना करतें है । ठीक उसी तरह ईद में मुस्लिम भाई सभी को बरकत और खुशियों की दुआयें अल्लह -ताला से करतें है । पर क्या कभी हमने ध्यान दिया है। की हमारें समाज में अच्छाइयों से ज्यादा बुराइयाँ ने जगह ले ली है । तो क्या हम भारतियों का कर्तव्य नहीं है । हम त्यौहारों में खुशियों मनाने के साथ – साथ हम बुराई को भी पनपने से रोंके और कोशिश करें की हम भी बुरे न बनकर अच्छाइयों के द्वारा प्रकाश फैलाएं।
त्यौहारों को कुछ इस तरह मनाये —
लोगो की मदद करें और मदद करने का संकल्प लें।
किसी भी बुराई को न पनपने देने का संकल्प लें।
लोगों में खुशियों को बाटे।
दुश्मनी को भूलने और प्यार के बंधन में एक दूसरे को गले लगायें नैतिक, सामाजिक मूल्यों को त्योहारों के माध्यम से मनोरंजन के साथ मिलाएं।
त्यौहारों को हमेशा मिलजुल के ही मनाएं।